सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु आमजन में गो सेवा की भावना जागृत करने के लिए विगत 9 अप्रेल 2024 से चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 50 वें दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को ग्वालसन्त गोपालानन्द सरस्वती महाराज ने संबोधित करते हुए कहां कि गो गति का दूसरा नाम है संस्कृत में गो का अर्थ गति होता है। संस्कृत में गो का अर्थ इन्द्रिया भी होता है । कर्मेंद्रिया एवं ज्ञानेंद्रिया दोनो चलायमान होती है और कर्मेंद्रियो से भी ज्यादा चलायमान ज्ञानेंद्रिया होती है ।दृष्टि क्षणमात्र में कहां से कहां पहुंच जाती है ।स्वर कहां से कहां का सुन लेते है हम लोग ।दूसरा अंग्रेजी शब्द गो शब्द का अर्थ भी चलना ही है यानि कि जो गति प्रदान करें वह गाय ही है । सभी प्रकार की गति प्रदान कर सकती है गायमाता अर्थात सद्गति तो गायमाता सीधा सीधा प्रदान करती है ,और जब गो का अनादर,अपमान हो,गो को कष्ट पहुंचाए,गो के कार्य में बाधा बने,गो तस्करों द्वारा गौहत्या होने लगे ,शासन एवं समाज अपने कर्तव्यों को भूल जाएं तो गो तन में बैठे देवता फिर दुर्गति करते है । यानि गति तो होनी ही है फिर चाहे व सद्गति हो अथवा दुर्गति क्योंकि बिना गति के जीव रह नहीं सकता इसलिए सद्गति चाहिए तो गो की शरणागति आवश्यक है क्योंकि शरणागति के प्रभाव से ही सद्गति होती है।
पूज्य महाराज ने आगे बताया कि जिस प्रकार पेड़ पौधे समय आने पर फल देते है उसी प्रकार भक्ति भी समय आने पर फल देती है और गोभक्त मोहनदास जी महाराज की गोभक्ति के स्वरूप ही सालासर बालाजी महाराज प्रगट तो हुए नागौर जिले के आसोद ग्राम में बैल भगवान के द्वारा जोते गए हल की नोक से और वही बैल बाबा गोभक्त आसोद ठाकुर साहब चम्पावत जी उन्हे गोभक्त मोहन बाबा के पास सालासर लेकर पधारे और आज सालासर बालाजी महाराज अपने भक्तो पर विशेष कृपा कर रहें है और मोहन बाबा ने 30 वर्षो तक गो की सेवा कर उनकी सेवा का कार्य अपने भांजे को सोपकर बालाजी महाराज के पुण्यधाम में जीवित समाधि लेकर बालाजी के चरणों में समाहित हो गए और उस दिव्य स्थान पर बालाजी महाराज की प्रेरणा से एक सुन्दर गो शाला संचालित हो रही है । पूज्य महाराज जी ने सभी श्रोताओं से आह्वान किया कि जीवन में एक बार सालासर बालाजी के दर्शन करने अवश्य जाएं और जब वहां जाएं तो पहले गोशाला के दर्शन एवं गोमाता के भोग लगाइए और उसके बाद ही सालासर बालाजी के दर्शन कीजिए क्योंकि वहां पर *बालाजी,गौसेवा एवं मोहनबाबा रूपी तीन शक्तियां विद्यमान है जो मानव का मुक्कदर बदल देती है ।
50 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के बागड़ क्षेत्र के बांसवाड़ा जिले से, मध्य प्रदेश के आगर जिले की बडौद तहसील के खेड़ा(नरेला) एवं मां बगुला मुखी के दरबार नलखेड़ा की ओर से:-
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 50 वें दिवस पर राजस्थान के बागड़ क्षेत्र के बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा तहसील के बड़ौदिया की मातृशक्ति, मध्यप्रदेश के आगर जिले में स्थित मां बगुला मुखी के दरबार नलखेड़ा से मातृशक्ति एवं आगर जिले की ही बडौद तहसील के खेड़ा (नरेला) ग्राम जहां के गोभक्त महादेव गोशाला भी संचालित करते है , खेड़ा (नरेला) के पंच पटेल तोफान सिंह, प्रताप सिंह,गिरवर सिंह,बापू सिंह, सुरेन्द्र सिंह,गोविंद सिंह,विक्रम सिंह,मदन सिंह,बने सिंह, शंकर सिंह,भेरू सिंह,नेपाल सिंह,कालू सिंह सहित ग्राम के सेंकड़ों युवा एवं मातृशक्ति अपने ग्राम की कुशल क्षेम एवं जन कल्याण के लिए सम्पूर्ण ग्राम की ओर से कामधेनु गो अभयारण्य मालवा परिसर में विशाल चुनरी यात्रा लेकर पधारे और कथा मंच पर पहुंचकर गोमाता को चुनरी ओढ़ाकर गोमाता का पूजनकर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन, गोपुष्ठि यज्ञ करके यज्ञशाला की परिक्रमा कर उसके बाद सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
