सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 89 वे दिवस गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिवस पर श्रोताओं को संबोधित करते हुए बताया कि जिस भगवती की कृपा से हमें गो महिमा कथा सुनने का सौभाग्य मिला है उन्ही भगवती मां पार्वती का पुण्य दिवस है क्योंकि जब भगवान महादेव ने मां पार्वती से विवाह के बाद पूछा कि है! प्रिय मैं आपका क्या शुभ करू, क्या भला करूं तो मां पार्वती ने भगवान महादेव के मुख से भगवत कथा श्रवण करने की इच्छा जाहिर की और वही कथा सुनने का अवसर हमें मिल रहा है । और यह गुप्त नवरात्रा मां भगवती की आराधना का अवसर है ।
स्वामीजी ने बताया कि यह गुप्त नवरात्रि मां की आराधना का दिवस है और इस समय अपने आहार, विहार एवं विचार को सात्विक एवं शुद्ध रखने की आवश्यकता है और इन गुप्त नवरात्रों में हम गोशाला में गोसेवा करे तो मां की यह सबसे बड़ी साधना है क्योंकि गोशाला सदा ही मन्दिर है अर्थात बिना प्रतिष्ठा के ही प्रतिष्ठित मंदिर है गोशाला ।
स्वामीजी ने सिक्खों के दसवें एवं अन्तिम गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी के बारे में बताते हुए बताया कि गुरु गोविन्द सिंह जी के पिता गुरु तेग बहादुर जी को मुगलों ने इसलिए मारा था कि उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया और जब मुगलों ने उनको कहां कि या तो तुम इस्लाम स्वीकार कर लो नहीं तो तुम्हें काट देंगे तो गुरु तेगबहादुर जी ने यही कहा की तुम मेरे जितने टुकड़े करोगे उतनी ही बार मैं जय श्री शत अकाल बोलूंगा और वे मुगलों के आगे नहीं झुके और गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने पिता का बलिदान अपने आंखो के सामने देखा और स्वयं गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने चारों पुत्रों को भारत मां के लिए न्योछावर कर दिया लेकिन वे मुगलों के आगे नही झुके ।
स्वामीजी ने बताया कि नैना गुर्जर की गोमाता के दुग्धाभिषेक से प्रगट हुई मां नयना देवी के बारे ने बताते हुए कथा में बताता कि गुरू गोविंद सिंह ने एक साल से अधिक समय तक मां नयना देवी के मंदिर में तपस्या व हवन किया तो मां भवानी ने स्वयं प्रकट होकर आशीर्वाद दिया और प्रसाद के रूप में तलवार भेंट की। देवी मां ने गुरू गोविन्द सिंह जी को वरदान दिया था कि तुम्हारी विजय होगी और इस धरती पर तुम्हारा पंथ सदैव चलता रहेगा।
स्वामीजी ने गोभस्म का महत्त्व बताते हुए कहां कि गोमाता के कंडे से बनी भस्म जिसे आग्नेय भस्म कहते है वह भगवान महाकाल को बहुत प्रिय है। जिसका उल्लेख शिव महापुराण में भी उल्लेख है । और गोमाता की भस्म सम्पूर्ण शरीर में लगा दे तो उससे शरीर बहुत पवित्र हो जाता है और इसे आग्नेय स्नान कहते है । स्वामीजी ने कहा कि श्रावण में कावड़ यात्रा के समय भोले व मां पार्वती को भंग घोटते हुए भजन चलाकर भोले बाबा व मां पार्वती का अनजाने में शिवभक्त पाप कर देते है क्योंकि भगवान भोलेनाथ तो स्वयं सतोगुणी एवं अमृतदाता है और शिवपुराण में भोले बाबा के भांग पीने का कहीं उल्लेख नहीं है इसलिए हमें इस प्रकार के कुप्रचार से बचना चाहिए ।
