आज दिनांक 19 फ़रवरी, 2025 को गौ संवर्द्धन आश्रम, ग्राम मोकलावास, जोधपुर में छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मदिवस एवं प्राकर्तिक चिकित्सा के युग पुरुष स्व. डॉ. श्री चंचलमल जी चौरड़िया की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर गौ ओर पर्यावरण संरक्षण हेतु चलाई जा रही 31 वर्ष की पदयात्रा ओर लगातार एक वर्ष तक गौमाता पर कथा करने वाले तपस्वी ग्वाल संतश्री के नाम से प्रारंभ गोपालाचार्य स्वामी श्री गोपालानंद सरस्वती पंचगव्य विद्यापीठ का उद्घाटन किया गया, जो भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को वैज्ञानिक मान्यता दिलाने और पंचगव्य चिकित्सा के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होगा।
इस शुभ अवसर पर राष्ट्रीय जैन कांफ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष और समाजसेवी श्री नेमीचंद जी जैन ने अपने करकमलों से पंचगव्य विद्यापीठ का उद्घाटन किया। वे वर्तमान में कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं और समाजहित में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
कार्यक्रम में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति श्री प्रदीप प्रजापति जी, इसकॉन सर्जिकल के संस्थापक श्री सोहनलाल जी जैन, अन्य गणमान्य अतिथि, ग्रामीणजन, और पंचगव्य चिकित्सा में रुचि रखने वाले लोग उपस्थित रहे।
विद्यापीठ का उद्देश्य एवं भविष्य की दिशा –
पंचगव्य विद्यापीठ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय चिकित्सा पद्धति को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रमाणित करना और पंचगव्य के महत्व को जन-जन तक पहुँचाना है। यह विद्यापीठ गौ-उत्पादों के उपयोग से स्वास्थ्य लाभ, अनुसंधान और प्रशिक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करेगा।
समाज में जागरूकता और भविष्य की संभावनाएँ
इस अवसर पर वक्ताओं ने पंचगव्य चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में गौवंश का संरक्षण और पंचगव्य का उपयोग आरोग्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। पंचगव्य चिकित्सा के वैज्ञानिक शोध से इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में विद्यापीठ कार्य करेगा।
इस ऐतिहासिक पहल से न केवल गौ संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि प्राकृतिक और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर स्वस्थ और समृद्ध भारत के निर्माण में भी योगदान दिया जाएगा।
