विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु आमजन में गो सेवा की भावना जागृत करने के लिए 9 अप्रेल2024 से चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 38 वें दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को ग्वाल सन्त गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती ने बताया कि मानवता को प्रगट करने के लिए संस्कारों की आवश्यकता होती है और संस्कार प्रदान करने का काम संगती करती है और उसके लिए सनातन धर्म उच्चतम स्तर पर दिखाई देता है । क्योंकि अन्य मत किसी को पौषित नहीं कर सकते है ,उनकी घोषणाएं केवल कुछ लोगों के विचारो तक ही सीमित रहती है, लेकिन वसुदेव कुटुंबकम की भावना से सम्पूर्ण विश्व को परिवार के भाव से देखने का काम केवल सनातन ही करता है ।
पेड़ लगाओ,जल बचाओ यह सनातन धर्म के सूत्र है,जिसे कोई नकार नहीं सकता। सनातन धर्म का अर्थ ही यह है जो सबके काम आ जाएं ।
स्वामी जी ने बताया कि सनातन धर्म ने एक बात कही है कि गावो विश्वस्य मातर: यानि गाय दुनिया की माता है । चतुष्पाद पशुधारण स्वरूप होने के बावजूद भी गोवंश मंगलकारी , दुःखहारी एवं उत्तम चेतनाओं का प्रदाता है। मानव कि समस्याओं का समाधान करना गोवंश को बहुत अच्छे से आता है । जयपुर स्थित मोती डूंगरी गणेशजी, चमोली(उत्तराखंड) व कर्नाटक के कल्याणी आदि शिव तीर्थ का उद्गम भी भगवान नन्दी बाबा से ही हुआ है और नन्दी बाबा का गोबर गोमाता के गोबर से भी 10 गुणा अधिक भूमि माता को पोषित करने की क्षमता रखता है ।
39 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के भवानीमण्डी एवं आगर जिले के आम्बादेव ग्राम की ओर से :-
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 39 वें दिवस पर राजस्थान के झालवाड़ जिले के भवानीमण्डी नगर से हीरालाल नामदेव(बन्धु कचौरी) वालों के परिवार एवं मध्यप्रदेश के आगर जिले की बडौद तहसील के आम्बादेव ग्राम के पंच पटेल मोहन सिंह(सरपंच),कंचनदेव आर्य,रूगनाथ सिंह आर्य,मोहन सिंह,प्रेम सिंह,मांगी सिंह ,रघुनाथ सिंह, नारायण सिंह, जसवंत सिंह,किशन सिंह के नेतृत्व में युवा एवं मातृशक्ति अभयारण्य परिसर में विशाल चुनरी यात्रा लेकर पधारे और कथा मंच पर पहुंचकर भगवती गोमाताजी को चुनरी ओढ़ाकर गोमाता का पूजनकर पूज्य स्वामी गोपालानंद जी महाराज जी से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन,गोपुष्ठि यज्ञ करके यज्ञशाला की परिक्रमा कर उसके बाद सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया ।
