सुसनेर। जनपद पंचायत सुसनेर के निकट विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु आमजन में गो सेवा की भावना जागृत करने के लिए 09अप्रेल2024 से चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 34 वें दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को संबोधित करते हुए कि जब-जब भी पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है, तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए त्रिदेवो में से कोई एक देव अथवा आद्यशक्ति भगवती ही स्वयं पृथ्वी में किसी न किसी रूप में अवतार लेते है और पुनः धर्म की स्थापना करते है, उसी श्रृंखला में आज ही के दिन आद्य गुरु शंकराचार्य साक्षात शंकर के रूप में अवतरित होकर सम्पूर्ण भारत की पैदल परिक्रमा करके चार प्रमुख प्रधान मठों की स्थापना कर उस समय भारत में फैली सनातन विरोधी शक्तियों का अपने ज्ञान बल से नाश किया है। वही आज के दिन श्री रामानुजाचार्य का जन्म हुआ है,जिन्होंने वेदांत के सिद्धांत को अमर कर दिया ।
स्वामी जी ने बताया कि आज ही के दिन भक्ति की रसधारा को अपनी दिव्य दृष्टि से आलोकित करके साधारण भौतिक दृष्टि का परित्याग कर गोपाल को अपने हृदय में बसाने वाले भक्तिकाल के “सूरज “सूरदास जी का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ है ।
स्वामीजी ने आगे बताया कि गाय के लिए जीना और गाय के लिए मरना यही सनातन धर्म की पहचान है।
प्रेमतत्त्व का प्रागटीकरण गो से ही हुआ है और जिन जिन देशों में गोमाता नहीं है, वहां प्रेम घटा है और आज वे देश आपस में लड़ रहें है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण गोघाती देश गाजापट्टी,यूक्रेन, रूस आदि देश है ,जिनका आपसी युद्ध महाभारत से भी अधिक लम्बे समय तक चल रहा है ।
स्वामी जी ने बहुला गोमाता के लिए ब्रज में प्रगट होने वाले बहुला बिहारी जी का वृतांत आज की कथा में सुनाया।
